Friday, May 25, 2018

जाने कहाँ गए वो दिन

यूँ ही बैठे बैठे जीवन के कुछ बीते पल आधे खट्टे आधे मीठे याद आते है तो जुबान यूँ ही बोल पड़ती है "जाने कहाँ गए वो दिन " और फिर राज कपूर के जोकर की तरह कुछ पल इधर कुछ पल उधर निगाहे देखती है और कुछ ही छनो में शांत बिलकुल ही शांत हो जाती हैं, जैसे की इन आँखों को बेहोस कर दिया गया हो या फिर सहम सी गयी हो........और कुछ भी देखना न चाहती हो मनो थक सी गयी हो बिलकुल ही थक गयी हो और अब बस गहरी नीद में सो जाना चाहती हो ...............................